| PDF NAME | संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया आदि PDF |
| SIZE | 1.1 MB |
| CLASS | 10th |
| जैव प्रक्रम NOTES PDF | DOWNLOAD NOW |
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व्याकरण
व्याकरण के इस अंश के द्वारा आप 15 अंक के प्रश्नों का उत्तर दे सकते है ?
★ शब्द
एक या अधिक अक्षर से बनी हुई स्वतंत्र एवं सार्थक ध्वनि या ध्वनि समूह को शब्द कहते है।
जैसे कलम, थाली ।
शब्द के भेद -
(1) अर्थ की दृष्टि से।
(2) रूपान्तर की दृष्टि से।
(3) रचना (बनावट) की दृष्टि से
(क) रूढ़ -लोटा
(ख) यौगिक-विद्यालय
(ग) योगरूढ़ - पंकज
(4) उत्पत्ति की दृष्टि से
(क) तत्सम - अग्नि
(ख) तद्भव
(ग) देशज-लोटा
(घ) विदेशज-डॉक्टर
★ वचन
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या (एक या अनेक) का बोध हो, उसे वचन कहते है। जैसे - लड़का, लड़की, मैं, हम।
वचन के भेद एकवचन एवं बहुवचन।
एकवचन: शब्द के जिस रूप से एक ही व्यक्ति या वस्तु का बोध हो, उसे एकवचन कहते है।
जैसे - लड़की, घोड़ा, शाखा, मैं तू आदि।
बहुवचन: शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं का बोध हो, उसे बहुवचन कहते है।
जैसे - लड़कियाँ, घोड़े, शाखाएँ, हम, तुम।
★ वाक्य
सार्थक शब्दों का क्रमबद्ध समूह जिससे कोई भाव स्पष्ट हो, वाक्य कहलाता है।
जैसे - राम पुस्तक पढ़ता है।
रचना के आधार पर वाक्य के तीन भेद है :
1. सरल वाक्य: जिस वाक्य में एक कर्ता और एक क्रिया हो, उसे सरल वाक्य कहते है।
जैसे - रहीम खेलता है।
2. मिश्र वाक्य: जिस वाक्य में एक सरल वाक्य के अलावा एक या एक से अधिक आश्रित उपवाक्य हों, उसे मिश्र वाक्य कहते है। जैसे यह वही विद्यालय है जहाँ मैं पढ़ता था।
3. संयुक्त वाक्य: जिस वाक्य में दो या दो से अधिक सरल या मिश्र वाक्य किसी अव्यय द्वारा
जुड़े हों उसे संयुक्त वाक्य कहते है।
जैसे - (i) वह धनी है, लेकिन बहुत घमंडी है।
(ii) (मिश्र से मिश्र) मैं रोटी खाकर लेटा कि पेट में दर्द होने लगा, और दर्द इतना बढ़ा, कि तुरन्त डॉक्टर को बुलाना पड़ा।
★ संज्ञा
किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान भाव आदि के नामों को संज्ञा कहते है।
जैसे - मनुष्य, गाय, शिक्षक।
अर्थ के आधार पर संज्ञा के मुख्यतः पाँच भेद है -
1. व्यक्तिवाचक - राम, रहीम, जॉर्ज
2. जातिवाचक - गाय, मनुष्य, वृक्ष
3. समूहवाचक - दल, मेला, सभा, सेना
4. द्रव्यवाचक - सोना, घी, चावल
5. भाववाचक - बचपन, मिठास, ईमानदारी, बुढ़ापा
★ सर्वनाम
संज्ञाओं के स्थान पर या उनके बदले जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है, उसे सर्वनाम कहते है।
जैसे - मैं, वह, तुम।
(1) पुरूषवाचक - मैं, तुम, वह
(2) निश्चयवाचक - यह, वह
(3) अनिश्चयवाचक - कोई कुछ
(4) प्रश्नवाचक - कौन, क्या
(5) सम्बन्ध वाचक - जो, सो
(6) निजवाचक - आप, स्वयं
★ विशेषण
जो शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाये, उसे विशेषण कहते है।
जैसे - अच्छा, लाल
विशेषण के भेद:
(1) संख्यावाचक - एक, दो
(2) परिमाणवाचक - थोड़ा, बहुत
(3) गुणवाचक - गोरा, काला
(4) सर्वनामिक विशेषण - ऐसा आदमी कहाँ मिलेगा, यह ले लो।
★ क्रिया
जिस शब्द से किसी काम के करने या होने का बोध हो, उसे क्रिया कहते है।
जैसे - उठना, बैठना इत्यादि ।
क्रिया के विविध रूप:
1. नाम बोधक क्रिया - उदास होना ।
2. पूर्वकालिक क्रिया - वह खाकर सो गई।
3. अकर्मक क्रिया - रीता चिल्लाती है।
4. सकर्मक क्रिया - वह स्वेटर बुनती है।
5. एककर्मक क्रिया - रंजना पुस्तक पढ़ती है।
6. द्विकर्मक क्रिया - दीदी मुझे संस्कृत पढ़ाती है।
7. सहायक क्रिया - आनन्द गाता है।
8. संयुक्त क्रिया - प्रेम बढ़ता गया।
9. प्रेरणार्थक क्रिया - पिता पुत्र से पत्र लिखवाते हैं।
10. पुनरूक्त क्रिया - मिल - जुलकर रहें।
11. क्रियार्थक संज्ञा - टहलना एक व्यायाम है।
12. नामधातु - उसने मेरी संपत्ति हथिया ली।
★ अव्यय
अव्यय उन शब्दों को कहते है, जिनमें लिंग, वचन, पुरूष, आदि के कारण कभी कोई परिवर्तन नहीं होता।
जैसे - बहुत, भारी, यहाँ, वहाँ, आगे, पीछे, तथा, लेकिन,
परन्तु, वाह, धन्यवाद ।
अव्यय के भेद :
क. क्रियाविशेषण : धीरे-धीरे ।
ख. संबंधबोधक: आगे, बिना, अपेक्षा।
ग. समुच्चयबोधक: और, व, एवं, तथा, किन्तु, परन्तु, अतः, कि ।
घ. विस्मयादिबोधक आह, वाह, काश, शाबाश!
संज्ञा अथवा सर्वनाम का वह रूप जो वाक्य के अन्य शब्दों विशेषतः क्रिया से अपना सम्बन्ध प्रकट करता है, कारक कहा जाता है।
जैसे - कर्त्ता, कर्म ।
★ सन्धि
दो वर्णों के मेल से जो विकार उत्पन्न होता है, उसे सन्धि कहते है।
जैसे - रमा + ईश = रमेश,
दिक् + अम्बर = दिगम्बर, मनः + ज = मनोज
संन्धि के भेद -
1. स्वर सन्धि: दो स्वरों के मेल से उत्पन्न विकार अथवा रूप परिवर्त्तन को स्वर सन्धि कहते है।
स्वर सन्धि के भेद-
क. दीर्घ सन्धि : विद्या + आलय = विद्यालय
ख. गुण सन्धि: देव + इन्द्र = देवेन्द्र
ग. वृद्धि सन्धि सदा + एव = सदैव
